
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है।इन दो देशों के बीच युद्ध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर भी कई सवाल उठ रहे हैं।इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को एक बयान के जरिए स्पष्ट किया कि उनकी ओर से ईरान से शांति वार्ता की किसी भी तरह की कोई पहल नहीं की गई है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह जरूर कहा कि हाल में उनकी ओर से न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर बताए गए डील पर ईरान को हस्ताक्षर कर देना चाहिए था।राष्ट्रपति ने कहा कि अगर ईरान उनके प्रस्ताव पर राजी हो जाता तो आज जानमाल का इतना नुकसान नहीं होता।राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उनका प्रयास दोनों देशों के बीच विवाद को हमेशा के लिए खत्म करने की दिशा में पहल करने का है सिर्फ युद्ध विराम नहीं।कनाडा में G 7 के अधिवेशन से लौटते हुए Air Force One के विमान पर पत्रकारों से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया कि युद्ध विराम से ज्यादा स्थाई समाधान निकालने की कोशिश उनके द्वारा की जा रही है और वह तभी संभव है जब ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को पूरी तरह स्थगित करने तैयार हो।राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि सीधी सी बात है ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए।
शुक्रवार से जारी ईरान और इजराईल के बीच युद्ध में दोनों ओर से हमला जारी है।ईरान ने हमले में अब तक 220 नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि की है जबकि इजराइल ने 24 नागरिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की है।
इजराइल,अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश हमेशा से ईरान की परमाणु क्षमता को कम करने का पक्षधर रहा है।जबकि ईरान परमाणु हथियार बनाने का खंडन करता रहा है।ईरान का दावा है कि Nuclear Non Proliferation Treaty के तहत उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम शांतिपूर्ण कार्यों के लिए है।वहीं इजराइल जो NPT में शामिल भी नहीं है और उसके पास परमाणु हथियार होने की बात भी की जाती रही है।
दोनों देशों द्वारा अपने आप को ताकतवर साबित करने की होड़ मची है लेकिन इतना तो तय है कि अगर समय रहते युद्ध विराम नहीं हुआ तो इसके कई दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं जिसका असर सिर्फ पश्चिम एशिया या अमेरिका तक ही सीमित नहीं रह सकता है।