
मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के तहत रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने ऑपरेशन एएएचटी (मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई) के तहत भारतीय रेलवे नेटवर्क में पीड़ितों की पहचान करने और उन्हें बचाने के प्रयासों को तेज कर दिया है।ऑपरेशन एएएचटी का उद्देश्य संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखने,पीड़ितों -विशेषकर महिलाओं और बच्चों- को बचाने और तस्करों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील स्टेशनों और ट्रेनों में प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात करना है।यह पहल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए भारतीय रेलवे के संकल्प को दर्शाती है।
इस ऑपरेशन के तहत एक बड़ी सफलता में, 30.05.2025 को पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल के तहत जसीडीह रेलवे स्टेशन पर सतर्क आरपीएफ कर्मियों ने पांच नाबालिग बच्चों को बचाया और दो संदिग्ध तस्करों को पकड़ा। नाबालिगों को दो लोगों के साथ संदिग्ध रूप से घूमते हुए पाया गया, जिन्होंने उनके पास पहुँचने पर भागने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया गया।पूछताछ करने पर आरोपियों ने अपनी पहचान (i) नंदकिशोर यादव (पुरुष/32), पुत्र नकुल यादव, निवासी भेमिया, थाना-कोटरिया, जिला-बांका, बिहार और (ii) बिनोद यादव (पुरुष/30), पुत्र नारायण यादव, निवासी हरखाना, थाना-कटोरिया, जिला-बांका, बिहार के रूप में बताई। उन्होंने कबूल किया कि वे बच्चों को मज़दूरी के लिए तमिलनाडु ले जाने के इरादे से उन्हें बहला-फुसलाकर ले जा रहे थे और जसीडीह से तिरुपुर जाने वाली ट्रेन संख्या 22644 पटना-एर्नाकुलम सुपर फास्ट एक्सप्रेस में सवार होने की योजना बना रहे थे।
आगे की पूछताछ में पता चला कि तस्करों के पास बच्चों के माता-पिता या स्थानीय प्रशासन से कोई कानूनी अनुमति या अधिकार नहीं था। वे स्थानीय मुखिया, वार्ड सदस्यों या ब्लॉक-स्तरीय अधिकारियों से कोई प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में भी विफल रहे थे।
सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों आरोपियों को बचाए गए नाबालिगों के साथ जीआरपीएस/जसीडीह को सौंप दिया गया।आवश्यक कानूनी कार्रवाई के लिए बीएनएस की धारा 137(2) और 143(5) और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75/81 के तहत मामला दर्ज किया गया है।