
सुप्रीम कोर्ट के भावी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा है कि देश का संविधान सर्वोपरि है और देश की तमाम संस्थाओं से इसके दायरे में ही काम करने की उम्मीद की जाती है। पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता के दौरान भावी मुख्य न्यायाधीश ने अपने विचार साझा किए।गौरतलब है कि न्यायमूर्ति बी आर गवई आगामी 14 मई को देश के 52 वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेने वाले हैं।सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश का यह विचार कई राजनेताओं खास कर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा संसद की प्रधानता को लेकर बयान दिए जाने के परिपेक्ष्य में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जिसमें विधायिका द्वारा प्रेषित बिल पर राष्ट्रपति के लिए तीन माह का डेडलाइन तय किए जाने की बद्यता तय की गई थी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ द्वारा अपनी प्रतिक्रिया में इस पर सवाल उठाते हुए संसद को सर्वोपरि बताया गया था।न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के 13 सदस्यीय बेंच ने भी अपने निर्णय में साफ कहा था कि संविधान ही सर्वोपरि है।जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की जरूरत है साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सहित समाज के वंचितों को भी उचित प्रतिनिधत्व न्यायपालिका में देने की जरूरत है हालांकि उन्होंने कहा कि गुणवत्ता से किसी कीमत पर समझौता नहीं होनी चाहिए।चुनाव से पहले राजनीतिक दलों द्वारा फ्रीवीज की कोशिश के सख्त खिलाफ जस्टिस गवई ने कहा कि इस तरह के मामलों को उनके द्वारा फास्ट ट्रैक कर त्वरित निर्णय देने की कोशिश होगी।
न्यायधीशों द्वारा अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करने के संबंध में जस्टिस गवई ने कहा कि शुरू में कुछ झिझक जरूर रही लेकिन बाद में उनके द्वारा सहर्ष अपनी संपत्ति का पूर्ण ब्योरा सार्वजनिक करने में रुचि दिखाई गई।
न्यायधीशों द्वारा अवकाश प्राप्त करने के बाद कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में दिलचस्पी दिखाए जाने के संबंध में जस्टिस गवई ने कहा कि दूसरों के संबंध में तो कुछ टिप्पणी नहीं की जा सकती है लेकिन वो खुद इसके सख्त खिलाफ है। जस्टिस गवई 23 नवंबर 2025 को अवकाश प्राप्त करेंगे।